
भारत की सांस्कृतिक और दक्षिणी भाषाओं के विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। द्रविड़ भाषाएँ – तमिल, तेलुगु , कन्नड़ और मलयालम शामिल हैं, दक्षिण भारत की प्रमुख भाषाएँ हैं और इनका एक समृद्ध इतिहास है।
द्रविड़ भाषा-परिवार:
- द्रविड़ भाषाएँ लगभग 70-80 विभिन्न भाषाओं का एक परिवार है, जो भारत के भीतर और बाहर अन्य भाषाओं की उत्पत्ति और विकास को प्रभावित करती हैं.
- इन भाषाओं का उद्गम प्रोटो-द्रविड़ भाषा से माना जाता है, जो संभवतः तीसरी सहस्राब्दी ईसा पूर्व के आसपास बोली जाती थी.
- द्रविड़ भाषाओं के चार प्रमुख सदस्य हैं: तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और मलयालम.
प्रमुख द्रविड़ भाषाएँ:
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तमिल:
तमिल द्रविड भाषा परिवार की प्राचीनतम भाषा मानी जाती है। इसकी उत्पत्ति के संबंध में अभी तक यह निर्णय नहीं हो पाया है कि किस समय यह भाषा स्थापित हुई। विश्व के विद्वानों ने संस्कृत, ग्रीक, लैटिन आदि भाषाओं के समान तमिल को भी अतिप्राचीन तथा पुराभाषा माना है। अन्य भाषाओं की तरह तमिल भाषा की विशेषता यह है कि यह अति प्राचीन भाषा है सभी भाषाई क्षेत्रों में लगभग 2000 वर्ष पुरानी है। तमिल भाषा में उपलब्ध ग्रंथो के आधार पर यह मत दिया गया है कि तमिल भाषा ईसा से कई सौ साल पहले ही सुसंस्कृत और सुव्यवस्थित हो गई थी।
मुख्य रूप से यह भारत के दक्षिणी राज्य तमिलनाडु, श्री लंका के तमिल बहुल उत्तरी क्षेत्र, सिंगापुर और मलेशिया के भारतीय मूल के तमिलों द्वारा बोली जाती है। भारत, श्रीलंका और सिंगापुर में इसकी स्थिति एक आधिकारिक भाषा के रूप में है। इसके अतिरिक्त यह मलेशिया, मॉरिसस, वियतनाम, रियूनियन आदि में भी पर्याप्त संख्या में बोली जाती है। लगभग 7 करोड़ लोग तमिल भाषा का प्रयोग मातृभाषा के रूप में करते हैं। यह भारत के तमिलनाडु राज्य की सरकारी भाषा है और यह पहली ऐसी भाषा है जिसे 2004 में भारत सरकार द्वारा शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया था।
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कन्नड़:
कन्नड़ भारत के कर्नाटक राज्य में बोली जाने वाली कर्नाटक की राजभाषा है। यह भारत की 22 भाषाओं में से एक है जो भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में सम्मिलित है। यह भारत की सबसे अधिक उपयोग की जाने वाली भाषाओं में से एक है। 4.50 करोड़ लोग कन्नड़ भाषा का प्रयोग करते हैं। विश्व की सर्वाधिक बोली जाने वाली 30 भाषाओं की सूची में कन्नड़ 27वें स्थान पर मौजूद है।यह द्रविड़ भाषा-परिवार में आती है पर इसमें संस्कृत के भी बहुत से शब्द हैं। कन्नड़ भाषी लोगों इसको ‘सिरिगन्नड‘ कहा जाता है। कन्नड़ की भाषा का अस्तित्व 2500 वर्ष पूर्व का है तथा कन्नड़ लिपि का प्रयोग 1900 वर्ष पूर्व से हो रहा है। कन्नड़ अन्य द्रविड़ भाषाओं की तरह और तेलुगु, तमिल और मलयालम इस भाषा से मिल्ली-जुलती हैं। कन्नड़ संस्कृत भाषा से बहुत प्रभावित है और संस्कृत के शब्द कन्नड़ में भी एक ही अर्थ में सुसंगत होते हैं। भारत सरकार ने कन्नड़ को भी भारत की एक शास्त्रीय भाषा घोषित कर दिया है।
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मलयालम:9वीं शताब्दी तक तमिल की पश्चिमी तटवर्ती बोली थी, जो बाद में एक अलग भाषा के रूप में विकसित हुई। भारत के केरल प्रान्त में बोली जाने वाली प्रमुख भाषा है। ये द्रविड़ भाषा-परिवार में आती है। केरल के अलावा ये तमिलनाडु के कन्याकुमारी और उत्तर में कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले, लक्षद्वीप और अन्य कई देशों में स्थित मलयाली बोली जाती है।मलयालम का सन्धि-विच्छेद है -> मलै (मलय का अर्थ = पर्वत) + अळम (आलयम का अर्थ = स्थान)।इस भाषा के भाषिक भारत के पश्चिमी घाट के गर्भ में निवास करते हैं और इसी कारण यह नाम पड़ा है।इसका सही उच्चारण ’मलयाळम्’ होता है।सन् 3100 ईसा पूर्व से लेकर 100 ईसा पूर्व तक यह प्राचीन तमिल का एक स्थानीय रूप था। ईसा पूर्व प्रथम शताब्दी से इस पर संस्कृत का प्रभाव हुआ। तीसरी शताब्दी से लेकर पन्द्रहवीं शताब्दी के मध्य तक मलयालम का मध्यकाल माना जाता है। इस काल में जैनियों ने भी भाषा को प्रभावित किया।
- तेलुगु:
तेलुगु शब्द का मूलरूप संस्कृत में “त्रिलिंग” है। इसका तात्पर्य आंध्र प्रदेश के श्रीशैल के मल्लिकार्जुन लिंग, कालेश्वर और द्राक्षाराम के शिवलिंग से है। इन तीनों सीमाओं से घिरा देश त्रिलिंगदेश और यहाँ की भाषा त्रिलिंग (तेलुगु) कहलाई। इस शब्द का प्रयोग तेलुगु के आदि-कवि “नन्नय भट्ट” के महाभारत में मिलता है।
यह शब्द त्रिनग शब्द से भी उत्पन्न हुआ माना जाता है। इसका आशय तीन बड़े बड़े पर्वतों की मध्य सीमा में व्याप्त इस प्रदेश से है। आंध्र जनता उत्तर दिशा से दक्षिण की ओर जब हटाई गई तो दक्षिणवासी होने के कारण इस प्रदेश और भाषा को “तेनुगु” नाम दिया गया। (तमिल भाषा में दक्षिण का नाम तेन है)। तेनुगु नाम होने का एक और कारण भी है, तेनुगु में तेने शब्द का अर्थ है शहद। यह भाषा मधुर होने के कारण तेनुगु नाम से प्रसिद्ध है।
आंध्र एक जाति का नाम है। ऋग्वेद की कथा के अनुसार ऋषि विश्वामित्र के शाप से उनके 50 पुत्र आंध्र, पुलिंद और शबर हो गए।
निष्कर्ष:-